- आत्म परिचय
- डा. जीवन सिंह ,
- जन्म-ब्रज-मेवात जनपद , राजस्थान के भरतपुर जिले के जुरेहरा गाँव में
- 19 जुलाई 1947 के दिन ।
- शिक्षा - गाँव, भरतपुर , अलवर, और जयपुर में पी . एच . डी तक ।
- शोध "साहित्य में वैयक्तिकता और वस्तुपरकता " विषय पर ।
- रूसी भाषा की अंगरेजी में अनुवादित कई पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद ।
- इनमें -"-प्राचीन भारत में प्रगति एवं रूढ़ि " विशेष ।
- ब्रज और मेवात के लोक-साहित्य में विशेष रूचि ।
- राठ -मेवात में प्रसिद्ध अलीबख्शी ख्यालों पर काम -पुस्तक प्रकाशनाधीन ।
- अपने गाँव की रामलीला से पिछले चालीस सालों से जुड़ाव -तीस सालों से खलनायक रावण की भूमिका ।
- एक बार भोपाल और अयोध्या में 1987 में " सीता - हरण " प्रसंग का प्रदर्शन ।
- अपने गाँव की रामलीला शैली पर एक किताब प्रकाशन के लिए तैयार ।
- राजस्थान की कालेज शिक्षा सेवा में चूरू ,सुजानगढ़ , सरदारशहर , सिरोही, दौसा, बूंदी , गंगापुर सिटी और अलवर में हिंदी -अध्यापन का काम । इस बीच एक वर्ष मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालय , श्योपुर कलां में अध्यापन ।
- रचना कर्म -खासकर आलोचना कर्म ---तीन पुस्तकें प्रकाशित -----'-कविता की लोक-प्रकृति' , 'कविता और कवि कर्म ', और 'शब्द और संस्कृति '।
- ' लोक -दृष्टि और समकालीन कविता" शीघ्र प्रकाश्य ।
- 'कविता और कवि-कर्म' पुस्तक पर राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का सर्वोच्च --मीरा सम्मान 2001 में मिला ।
- ब्रज भाषा अकादमी से ब्रज भाषा सम्मान मिला ।
- निराला , मुक्तिबोध, नागार्जुन, त्रिलोचन , केदार , कुमारेन्द्र, विजेंद्र आदि लोक- परम्परा के कवियों की कविताओं पर अपनी अर्जित दृष्टि से लेखन ।
- वर्तमान में --'जनवादी लेखक संघ ' का सदस्य ।
- कवितायेँ लिखी लेकिन प्रकाशित कराने में संकोच रहा।
Monday, September 9, 2013
Writer Dr. Jeevan Singh
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment