जयपुर.गदर और देवदास जैसी फिल्मों के जरिए अपने नृत्य कौशल की चमक बिखरने वाली नृत्यांगना महुआ शंकर ने कहा कि आज का कथक काफी प्रयोगात्मक हो गया है, कथक को लेकर आज जो भी प्रयोग किए जा रहे हैं उसकी शुरुआत पं. बिरजू महाराज ने की।महुआ ने यह बात शनिवार को आर्च इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन परिसर में स्पिकमैके की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने इस मौके पर अपनी निश्छल बातों के मोहपाश में वहां उपस्थित स्टूडेंट्स को बांध लिया। उनके बात समझाने का तरीका इतना सरल और रोचक था कि उन्होंनें बातों ही बातों में प्राचीन काल से अब तक के कथक के सफर की व्याख्या कर डाली, इस दौरान उनकी हर अच्छी बात को स्टूडेंट तालियों से नवाजते रहे।
उन्होंने बताया कि कथक का अर्थ है कथा, इसीलिए कथक करने वाले को कथाकार भी कहा जाता है। प्राचीन समय में यह नृत्य केवल मंदिरों में पुरुषों द्वारा ही किया जाता था। मुगलकाल में राजा महाराजाओं के मनोरंजन के लिए इसे महिलाओं से भी करवाया जाने लगा। आज मंच पर कथक का जो भी गरिमापूर्ण अक्स दिखाई देता है।वह सब पं. बिरजू महाराज और उनके गुरुओं की मेहनत का ही फल है।उन्होंने इस मौके पर कथक नृत्य के तकनीकी पक्ष के अलावा उसके सौंदर्य पक्ष का भी प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी आंगिक भाव भंगिमाएं और चेहरे पर एक के बाद एक आते जाते भाव इतने सुकोमल और जीवंत थे कि देखने वाले बिना समझाए ही हर भाव के छिपे अर्थ को समझते चले जा रहे थे।उन्होंने चिडिय़ा और चील की उड़ान के अंतर के अलावा हिरण, शेर, हाथी और गाय की चाल को भी बहुत ही रोचक अंदाज में जीवंत किया। उनके साथ गायन पर नूपुर शंकर, तबले पर सलमान खान और हारमोनियम पर वालिद खान ने संगत की।
उन्होंने बताया कि कथक का अर्थ है कथा, इसीलिए कथक करने वाले को कथाकार भी कहा जाता है। प्राचीन समय में यह नृत्य केवल मंदिरों में पुरुषों द्वारा ही किया जाता था। मुगलकाल में राजा महाराजाओं के मनोरंजन के लिए इसे महिलाओं से भी करवाया जाने लगा। आज मंच पर कथक का जो भी गरिमापूर्ण अक्स दिखाई देता है।वह सब पं. बिरजू महाराज और उनके गुरुओं की मेहनत का ही फल है।उन्होंने इस मौके पर कथक नृत्य के तकनीकी पक्ष के अलावा उसके सौंदर्य पक्ष का भी प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी आंगिक भाव भंगिमाएं और चेहरे पर एक के बाद एक आते जाते भाव इतने सुकोमल और जीवंत थे कि देखने वाले बिना समझाए ही हर भाव के छिपे अर्थ को समझते चले जा रहे थे।उन्होंने चिडिय़ा और चील की उड़ान के अंतर के अलावा हिरण, शेर, हाथी और गाय की चाल को भी बहुत ही रोचक अंदाज में जीवंत किया। उनके साथ गायन पर नूपुर शंकर, तबले पर सलमान खान और हारमोनियम पर वालिद खान ने संगत की।
साभार:दैनिक भास्कर
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