पता-
110,बलवंत नगर,
गांधी रोड़,ग्वालियर,
मध्य प्रदेश- 474 002
फोन-0751- 4092908
|
मूल रूप से ग्वालियर,मध्य प्रदेश के हैं.कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी के सहपाठी भी रहे.फिलहाल सेवानिवृत प्रोफ़ेसर हैं. लिखने, पढ़ने, छपने में गहरी रूचि है. खुद को कविता रचना के सबसे करीब और मुफीद पाते हैं.उम्र लगभग छियासी पार है.कई किताबें प्रकाशित हुई और अनुदित भी.
द्वि-भाषिक कवि
— हिन्दी और
अंग्रेज़ी।
सन् 1941 के लगभग
अंत से
काव्य-रचना
आरम्भ। तब
कवि (पन्द्रह
वर्षीय) 'विक्टोरिया
कॉलेज, ग्वालियर'
में इंटरमीडिएट
(प्रथम वर्ष)
का छात्र
था। सम्भवतः
प्रथम कविता
'सुख-दुख'
है; जो
वार्षिक पत्रिका
'विक्टोरिया कॉलेज मेगज़ीन' के किसी
अंक में
छपी थी।
वस्तुतः प्रथम
प्रकाशित कविता
'हुंकार' है;
जो 'विशाल
भारत' (कलकत्ता)
के मार्च
1944 के अंक
में प्रकाशित
हुई।
- लगभग छह वर्ष की काव्य-रचना का परिप्रेक्ष्य स्वतंत्रता-पूर्व भारत; शेष स्वातंत्र्योत्तर।
- हिन्दी की तत्कालीन तीनों काव्य-धाराओं से सम्पृक्त — राष्ट्रीय काव्य-धारा, उत्तर छायावादी गीति-काव्य, प्रगतिवादी कविता।
- समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न रचनाकार।
- सन्1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध। 'हंस' (बनारस / इलाहाबाद) में कविताओं का प्रकाशन। तदुपरान्त अन्य जनवादी-वाम पत्रिकाओं में भी। प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षर।
- सन्1949 से काव्य-कृतियों का क्रमशः प्रकाशन।
- प्रगतिशील मानवतावादी कवि के रूप में प्रतिष्ठित। समाजार्थिक यथार्थ के अतिरिक्त अन्य प्रमुख काव्य-विषय — प्रेम, प्रकृति, जीवन-दर्शन। दर्द की गहन अनुभूतियों के समान्तर जीवन और जगत के प्रति आस्थावान कवि। अदम्य जिजीविषा एवं आशा-विश्वास के अद्भुत-अकम्प स्वरों के सर्जक।
- काव्य-शिल्प के प्रति विशेष रूप से जागरूक।
- छंदबद्ध और मुक्त-छंद दोनों में काव्य-सॄष्टि। छंद-मुक्त गद्यात्मक कविता अत्यल्प। मुक्त-छंद की रचनाएँ भी मात्रिक छंदों से अनुशासित।
- काव्य-भाषा में तत्सम शब्दों के अतिरिक्त तद्भव व देशज शब्दों एवं अरबी-फ़ारसी (उर्दू), अंग्रेज़ी आदि के प्रचलित शब्दों का प्रचुर प्रयोग।
- सर्वत्र प्रांजल अभिव्यक्ति। लक्षणा-व्यंजना भी दुरूह नहीं। सहज काव्य के पुरस्कर्ता। सीमित प्रसंग-गर्भत्व।
- विचारों-भावों को प्रधानता। कविता की अन्तर्वस्तु के प्रति सजग।
- 26 जून 1926 को प्रातः 6 बजे झाँसी (उ. प्र.) में, ननसार में, जन्म।
प्रारम्भिक शिक्षा झाँसी,
मुरार (ग्वालियर),
सबलगढ़ (मुरैना)
में। शासकीय
विद्यालय, मुरार (ग्वालियर) से मैट्रिक
(सन्1941), विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर (सत्र
41-42) और माधव महाविद्यालय, उज्जैन (सत्र
: 42-43) से इंटरमीडिएट (सन्1943), विक्टोरिया कॉलेज,
ग्वालियर से
बी. ए.
(सन्1945), नागपुर विश्वविद्यालय से सन्1948
में एम.
ए. (हिन्दी)
और सन्1957
में 'समस्यामूलक
उपन्यासकार प्रेमचंद' विषय पर पी-एच. डी.
जुलाई 1945 से अध्यापन-कार्य — उज्जैन,
देवास, धार,
दतिया, इंदौर,
ग्वालियर, महू, मंदसौर में।
- 'कमलाराजा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ग्वालियर (जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर) से 1 जुलाई 1984 को प्रोफ़ेसर-अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।
- कार्यक्षेत्र : चम्बल-अंचल, मालवा, बुंदेलखंड।
- सम्प्रति शोध-निर्देशक — हिन्दी भाषा एवं साहित्य।
- अधिकांश साहित्य 'महेंद्रभटनागर-समग्र' के छह-खंडों में एवं काव्य-सृष्टि 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' के तीन खंडों में प्रकाशित।
'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा'
खंड : 1
1 तारों के
गीत
2 विहान
3 अन्तराल
4 अभियान
5 बदलता युग
6 टूटती शृंखलाएँ
खंड : 2
7 नयी चेतना
8 मधुरिमा
9 जिजीविषा
10 संतरण
11 संवर्त
खंड : 3
12 संकल्प
13 जूझते हुए
14 जीने के
लिए
15 आहत युग
16 अनुभूत-क्षण
17 मृत्यु-बोध
: जीवन-बोध
18 राग-संवेदन
प्रतिनिधि संकलन
19 सरोकार और
सृजन (जनसंवेदना-जनचेतना से
सम्बद्ध कविताएँ)
20 गीतक्रम [प्रतिनिधि
गेय गीत]
21 सब-कुछ
पीछे छूट
गया (नवगीत)
22 कालपृष्ठ
पर अंकित [1] [सामाजिक यथार्थ
से सम्बद्ध]
23 कालपृष्ठ
पर अंकित [2] [सामाजिक यथार्थ
से सम्बद्ध]
24 जीवन-राग
[जीवन- दर्शन
से सम्बद्ध]
25 चाँद, मेरे
प्यार! (प्रेम-कविताएँ)
26 इंद्रधनुष (प्रकृति-चित्रण)
27 मृत्यु और
जीवन
28 आधुनिक कवि
: महेंद्रभटनागर
29 कविश्री : महेंद्रभटनागर
[संयोजक : डॉ॰ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’]
30 प्रगतिवादी कवि
महेंद्रभटनागर
अद्यतन काव्य-कृतियाँ
25 अनुभूतियाँ : एक
हताश व्यक्ति
की
26 विराम
मूल्यांकन / शोध
[1] महेंद्रभटनागर की
काव्य-संवेदना
: अन्तःअनुशासनीय आकलन
डा. वीरेंद्र
सिंह (जयपुर)
[2] कवि महेंद्रभटनागर
का रचना-कर्म
डा. किरणशंकर
प्रसाद (दरभंगा)
[3] डा. महेंद्रभटनागर
की काव्य-साधना
ममता मिश्रा
[4] महेंद्रभटनागर की
कविता : परख
और पहचान
सं. डा.
पाण्डेय शशिभूषण
'शीतांशु' (अमृतसर)
[5] कवि महेंद्रभटनागर
की रचना-धर्मिता
सं. डा.
कौशलनाथ उपाध्याय
(जोधपुर)
[6] डा. महेंद्रभटनागर
की काव्य-सृष्टि
सं. डा.
रामसजन पाण्डेय
(रोहतक)
[7] डा. महेंद्रभटनागर
का कवि
व्यक्तित्व
सं. डा.
रवि रंजन
(हैदराबाद)
[8] सामाजिक चेतना
के शिल्पी
: कवि महेंद्रभटनागर
सं. डा.
हरिचरण शर्मा
(जयपुर)
[9] कवि महेंद्रभटनागर
का रचना-संसार
सं. डा.
विनयमोहन शर्मा
(स्व.)
[10] कवि महेंद्रभटनागर
: सृजन और
मूल्यांकन
डा. दुर्गाप्रसाद
झाला (शाजापुर)
[11] महेंद्रभटनागर की
सर्जनशीलता (शोध / नागपुर वि.)
डा. विनीता
मानेकर (तिरोड़ा-भंडारा / महाराष्ट्र)
[12] प्रगतिवादी कवि
महेंद्रभटनागर : अनुभूति और अभिव्यक्ति /
(शोध / जीवाजी
वि., ग्वालियर)
डा. माधुरी
शुक्ला (स्व.)
[13] महेंद्रभटनागर के
काव्य का
वैचारिक एवं
संवेदनात्मक धरातल
(शोध / सम्बलपुर
वि., उड़ीसा)
डा. रजत
कुमार षड़ंगी
(कोरापुट-उडी़सा)
[14] डा. महेंद्रभटनागर
: व्यक्तित्व और कृतित्व (शोध / कर्नाटक
वि.)
डा. मंगलोर
अब्दुलरज़ाक बाबुसाब (गदग-कर्नाटक)
[15] डा. महेंद्रभटनागर
के काव्य
का नव-स्वछंदतावादी मूल्यांकन
(शोध / दयालबाग
डीम्ड वि.,
आगरा)
डा. कविता
शर्मा (आगरा)
[16] डा. महेंद्रभटनागर
के काव्य
में सांस्कृतिक
चेतना
(शोध / छत्रपति शाहूजी
महाराज विश्वविद्यालय,
कानपुर)
डा. अलका रानी
सिंह (कन्नौज)
[16] महेंद्रभटनागर का
काव्य : कथ्य
और शिल्प
(शोध / ललितनारायण
वि., दरभंगा)
डा. मीना
गामी (दरभंगा)
[17] महेंद्रभटनागर के
काव्य में
संवेदना के
विविध आयाम
(शोध / महर्षि
दयानन्द विश्वविद्यालय,
रोहतक)
डॉ॰ प्रमोद
कुमार (रोहतक)
[18] डॉ॰ महेंद्रभटनागर
के काव्य
में सम्सामयिकता
(शोध / सौराष्ट्र
विश्वविद्यालय, राजकोट)
डॉ॰ विपुल
रणछोड़भाई जोधाणी
(जूनागढ़)
[19] डॉ॰ महेंद्रभटनागर
की गीति-रचना : संवेदना
और शिल्प
(शोध / छत्रपति शाहूजी
महाराज विश्वविद्यालय,
कानपुर)
डॉ॰ रजनीकान्त सिंह (कन्नोज)
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